Wednesday, September 23, 2009

पसली के दर्द में

* चंद्रामृत रस 4 रत्ती, श्रृंग भस्म 1 1/2 रत्ती, नौसादर 1 1/2 रत्ती, मल्लसिंदूर 1 रत्ती लेकर सबको एकसार करके मिला लें। फिर इसकी चार बराबर-बराबर पुड़ियाँ बनाएँ।1-1 पुड़िया 4-4 घंटे पर दें। यह पसली के दर्द (पार्श्वशूल) का सफल अनुभूत नुस्खा है। निमोनिया की अवस्था में यह योग मिश्रण कफ को द्रव करके निकालता है। इससे हृदय की वेदना कम हो जाती है।

* उत्तम साबुन, कपूर और दालचीनी का तेल लेकर मलहम बनाएँ। मलहम बनाने की विधि निम्न प्रकार है-

पहले साबुन लेकर चाकू से बारीक-बारीक छिलके उतारें। इस प्रकार 50 ग्राम साबुन के छिलके उतारें और उन्हें खरल में डालकर आवश्यकतानुसार तारीपन का तेल डालकर घुटाई करें। जैसे-जैसे द्रवत्व सूखे, वैसे-वैसे और तारपीन का तेल डालते हुए घुटाई करते रहें।

घोंटते-घोंटते साबुन का अंश तारपीन के तेल में मिलकर मलहम जैसा बन जाना चाहिए अर्थात साबुन का विलय तेल में पूर्ण रूप से हो जाना चाहिए। इसके बाद 10 ग्राम कपूर डालकर पुनः घुटाई करें और फिर शीशी में भरकर रख लें।

* निमोनिया में होने वाले पसली के दर्द में इसे थोड़ा सा लगाकर अच्छी तरह सेंक करें। इससे कैसा भी दर्द हो, तुरंत बंद हो जाता है। इसके अतिरिक्त शरीर के किसी भी अंग में दर्द हो, इसे लगाकर मालिश करने से शीघ्र आराम मिलता है। साधारण दर्द हो तो केवल लगाकर मालिश कर धूप में बैठने से ही आराम मिलता है।

* गोदंती 10 ग्राम, मेदा लकड़ी 10 ग्राम, और गाय का घी 30 ग्राम लें। पहले दो द्रव्यों को बारीक पीस लें। फिर इन्हें घी में मिलाकर थोड़ा गरम करके पसली पर लगाएँ। इससे पसली के दर्द में राहत मिलती है।

सिंगरफ 3 ग्राम, जायफल, लौंग, जावित्री, 6-6 ग्राम, मोम 12 ग्राम और देशी घी 60 ग्राम लें।

पहले सिंगरफ को खूब घोंटें, फिर लौंग, जावित्री, जायफल को महीन पीसकर रख लें। तत्पश्चात्‌ घी गर्म करके उसमें मोम मिला दें। जब दोनों घुल जाएँ तब उतारकर उक्त पिसी हुई औषधियों को डालकर खूब मिला दें। ठंडा होने पर यह वैसलीन के समान मलहम बन जाता है।

बच्चों अथवा बड़ों को तीव्र पसली के दर्द में हल्का गर्म करके लगाने से तुरंत दर्द बंद हो जाता है। यह शत-प्रतिशत सफल अनुभूत योग है।

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